आदिवासी गुरुओ की सम्मान में डी.एम.एस. है,मैदान में।

दुर्गा महारानी सेना सामाजिक संस्थान, जिसका मूल उद्देश्य जीव सेवा है। इस संस्थान मे आमजन,शाशन प्रशासन के साथ साथ झारखण्ड बंगाल के सैकड़ों गुरु बाबा गुरु माता जुड़े हैं, इस संस्थान के प्रमुख संत सोखा बाबा कुंवर टुडू है।
संस्थान का डिजिटल प्लेटफार्म news70 द्वारा आयोजित प्रधान कार्यालय मे news70 टीम की बैठक मे यह निर्णय लिया गया,
वर्ष 2023 मे किसी भी राजनितिक, समाजिक संस्थान के सन्देश समाचार जो आदिवासी कल्याण योजना से सम्बंधित हो उसे news70 मे प्रकाशित किया जायेगा।
साथ ही साथ यह भी निर्णय लिया गया के संस्थान आदिवासी हित के लिए कार्य कर रहे समाजसेवी शाशन प्रशासन से जुड़े लोगो को स्मृति चिन्ह भेट दे कर सम्मानित करेगी।
इसी योजना के तहत झारखण्ड समन्वय समिति सदस्य मंत्री दर्जा प्राप्त श्री फागू बेसरा जी को स्मृति चिन्ह भेट दे कर सम्मानित किया जायेगा।
सभी समाज के गुरुओ की भांति ही आदिवासी समाज के गुरु बाबा गुरु माता पाहन नया, नायके इत्यादि को भी झारखण्ड मे सम्मान का दर्जा मिले यह संस्थान की प्रमुख मांग है।
सभी आदिवासी हित के लिए कार्य कर रहे संस्थानों से अपील की जाती है, आदिवासी गुरुओ के सम्मान के लिए एक प्लेटफार्म पे आये, सरना कोड की मांग करने वाले संस्थाओ की मांग तब तक अधूरी है,जब तक के सरना स्थल के गुरु पाहन नया, नायके को दूसरे समाज के गुरुओ की तरह ही सम्मान नहीं मिल जाता है।
हम एक छोटा सा उदहारण से समझते है,पारसनाथ
गैजेटियर ऑफ बिहार (हजारीबाग जिला, 1932) में इस पूरी पर्वत श्रृंखला को मारंग बुरू के नाम से जाना जाता था। हर सरहूल के समय यहां धूम धाम से पूजा की जाती थी,संविधान की 5वीं और 6वी अनुसूची के अनुसार आदिवासियों स्वामित्व वाली जमीन को गैर-आदिवासी नहीं खरीद सकते। लेकिन यहां बिना रोक टोक जैन संप्रदाय के लोग जमीन खरीद रहे हैं, तथा बड़े बड़े आश्रम बना रहे है। आदिवासी जनता को आश्वासन दिया जाता है कि उन्हें नौकरी, स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा मिलेगी। प्रारंभ में कुछ सुविधाएं दी भी जाती हैं, परंतु जैसे ही संस्थान यहां अपने पैर पसार लेती हैं,तब सुविधाएं बंद कर दी जाती हैं।
पारसनाथ पर्वत पर 9 किलोमीटर चढ़ना 9 किलोमीटर उतरना तथा सभी मंदिरो मे घूमने मे 9 किलोमीटर की दुरी तय करनी पडती है। जिसे वहा के मुलवासी आदिवासी लोग सैलानी लोगो को डोली मे उठा कर चलते है,उन्हें डोली मजदूर कहा जाता है।
जिन्हे एक फिक्स्ड कार्ड के तहत पैसा मिलता है। जिस कारण एक मजदूर महीने का इतने कठिन परिश्रम के बाद सिर्फ 2000 रुपया तक ही कमा पता है। उन्हें खाने पिने विश्राम करने की कोई सुविधा नहीं दी जाती।
पारसनाथ मे बहुत से आदिवासी भीख मांगते दिख जायेंगे,सड़को पर सीढ़ियों पर सोते दिख जायेंगे, इनके लिए कोई मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है,कड़ाके की ठण्ड हो या चील चिलाती धूप इन की सुध कोई नहीं लेता। इनकी जीवन बद से भी बत्तर है।
कारण सिर्फ इतना है की हमें बाटने वालों ने ये समझा दिया की ये पारसनाथ के आदिवासियों का मामला है, तुम्हारा नहीं?
इसी तरह जल जंगल जमीन छीनती जा रही है, और हम खामोश बैठे है।
दुर्गा महारानी सेना समाजिक संस्थान झारखण्ड के सभी संस्थानों से अपील करती है, की आइये पहले अपने सरना स्थल के गुरु पाहन नया, नायके को सरकार से लेकर आम जन तक के बिच मे सम्मान का दर्जा दिला दे, उसके बाद उनके आशीर्वाद से जल, जंगल जमीन,1932 खतियान,सरना कोड जैसी समस्याओ का समाधान एक जुटता से करेंगे।
प्रिंस राज
संयोजक /मीडिया प्रभारी
दुर्गा महारानी सेना समाजिक संस्थान

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